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वह बदनाम गली Dalmandi Vananci

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   बनारस की दालमंडी का इतिहास बेहद समृद्ध है. इसमें कला का अमृत घुला हुआ है. इसकी तुलना दिल्ली के जीबी रोड, मुंबई के कमाठीपुरा या कोलकाता के सोनागाछी से नहीं हो सकती. यहां कलाओं का ऐश्वर्य था, सौंदर्य की मिश्री थी. साहित्य की गंगोत्री थी.दालमंडी में चंपाबाई की सुर-ताल और अदब की वो महफिल जहां जाने को बेचैन था पूरा बनारस चंपाबाई की एक झलक पाने को पूरा बनारस बेचैन था. कुछ ऐसे भी थे जो जान पर खेल जाते थे।चंपा बाई. नाम सुनते ही जैसे मन के किसी कोने में अचानक चंपा के फूल खिलने का अहसास हो उठे. चौंकिए मत. इस कहानी का सिरा आपकी सोच के बाहर का है. चंपा बाई, बनारस की दालमण्डी की मशहूर तवायफ थीं. बला की खूबसूरत, नामवर नर्तकी. संगीत के जानकार उसके गाने पर जान देते थे. तहज़ीब, शराफ़त, पेश आने के तरीक़े, हाज़िर जवाबी, सब में बेजोड़. लोग उनकी महफ़िल में अदब और आदाब सीखने आते थे. महफ़िल में उनके कदम पड़ते ही दिल मचल उठते थे और होशो-हवास वक्त के किसी ‘इंटरवल’ में गुम हो जाते थे. ऐसी थी उनकी शोहरत.आचार्य चतुरसेन के शब्दों में “उसकी देहयष्टि जैसे किसी दिव्य कारीगर ने हीरे के अखंड टुकड़े से यत्नपूर्वक खोदकर गढ़ी थी. जिससे तेज आभा, प्रकाश, माधुर्य, कोमलता और सौरभ का झरना झर रहा था. इतना रूप, सौष्ठव और अपूर्वता कभी किसी ने एक जगह इकट्ठा नहीं देखा होगा. कोठे पर वह रूप, यौवन, मद, सौरभ बिखेरती चलती थी.” इस चंपाबाई की एक झलक पाने को बनारस का श्रेष्ठिवर्ग यत्न करता था. कुछ ऐसे भी थे जो जान पर खेल जाते थे.
#वक्त_ने_दालमण्डी_को_बदनाम_कर_दिया
 सुरों की गली, अदब की महफ़िल, गुणवन्तो की इबादतगाह, हुनर की मण्डी और बनारसी रईसी परम्परा को दालमण्डी कहते हैं. महाकवि जयशंकर प्रसाद और भारतेन्दु की यह आश्रयस्थली थी. यहां न कोई छोटा, न बड़ा, सब बराबर. यहां आने के लिए बस संगीत में रुचि, तहज़ीब के जानकार और अंटी में माल होना चाहिए. बनारसी संगीत की विशाल परम्परा है और दालमण्डी उस परम्परा का अबूझ सा स्रोत. समझने वाली बात यह भी है कि दालमण्डी वेश्यालय नहीं था. यहां सुरों की महफ़िल सजती थी. और संगीत की दुनिया रौशन होती थी.वक्त ने दालमण्डी को इतना बदनाम कर दिया है कि दालमण्डी की शोहरत दुनिया में तो हुई, पर बनारस के राजस्व दस्तावेज़ों में इस मुहल्ले का नाम तक दर्ज नहीं है. कभी इसी मुहल्ले में पारसी थियेटरकार आगा हश्र काश्मीरी रहा करते थे. भारत रत्न बिस्मिल्ला खां का घर इसी मुहल्ले का सराय हडहा था. दरअसल चौक से नई सड़क के बीच जिस गली को लोग दालमंडी के नाम से जानते है, उस गली का नाम हकीम मोहम्मद जाफर मार्ग है. इस गली के एक ओर चहमामा है तो दूसरी ओर रेशम कटरा मुहल्ला. 
#बृजबाला_की_बंदिश_को_शहनाई_में_उतार_अमर_हो_गएबिस्मिल्लाह
शहनाई नवाज़ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कहते थे कि अगर कोठे नहीं होते, तवायफ़ें नहीं होतीं तो आज बिस्मिल्लाह बिस्मिल्लाह नहीं होता. उनका मानना था कि जितनी पक्की गायकी कोठे पर थी, वह कहीं और नहीं मिलती थी. बृजबाला मुज़फ़्फ़रपुर की तवायफ थी. खां साहब डुमराव के रहने वाले थे. एक महफ़िल में दोनो की मुलाक़ात हुई. और इस तवायफ ने बिस्मिल्लाह को बिस्मिल्लाह बना दिया. ‘गूंज उठी शहनाई’ में भरत व्यास का वो गीत ‘दिल का खिलौना हाय टूट गया’ बृजवाला की ही धुन थी. खां साहब इससे अमर हो गए. खां साहब कहते थे “मैं उनके साथ में बहुत रियाज करता था. उसकी बंदिश को मैंने शहनाई में उतारा और मेरी वह फूंक अमर हो गई.” ये बात दीगर है कि खां साहब भारत रत्न बने और बृजबाला गुमनामी के अंधेरे में गुम हो गईं.
#तवायफों_का_इतिहास
 सांस्कृतिक इतिहास की ये रवायतें ढाई से तीन हज़ार साल पुरानी हैं. अवध, बनारस और मुज़फ़्फ़रपुर का चतुर्भुज स्थान इस इतिहास के जिन्दा केन्द्र रहे हैं. बौद्ध काल में भी गणिकाओं का उल्लेख मिलता है. आम्रपाली की कथा तो आप जानते ही होंगे. बुद्ध ने इसकी प्रतिभा देख इसे अपने विहार में प्रवेश दिया था. तब तक महिलाएं बौद्ध विहारों में प्रतिबंधित थीं. पारम्परिक मुजरा, गीत, ग़ज़ल, बंदिशों के बोलों को भावपूर्ण नृत्य शैली में अंजाम देने वाली नर्तकी को तवायफ कहते हैं. यह नर्तकियां ‘पेशवाज’ पहन कर नृत्य करती थीं, जिसमें शरीर के ऊपरी भाग में घेरेदार अंगरखा और पैरों में चूड़ीदार पाजामा पहना जाता है.
तवायफें अमूमन जिस्मफरोशी नहीं करती थीं. आमतौर पर किसी राजा, नवाब, रईस या गोरे साहब की रक्षिता के तौर पर ये तवायफें अपना जीवन गुज़ारती थीं. हर शाम कोठे पर महफ़िल सजाना और उपशास्त्रीय गायन ही इनका काम था.
अवध में इन्हे पतुरिया भी कहा जाता था. वैसे काशी की तवायफ परम्परा काफ़ी समृद्ध थी तभी तो भारतेन्दु ने ‘प्रेमयोगिनी’ में लिखा है “आधी कासी भाट भंडोरिया बाम्हन औ संन्यासी. आधी कासी रंडी मुंडी रांड़ खानगी खासी.. देखी तुम्हरी काशी लोगों, देखी तुम्हरी काशी”
पर तवायफ और गणिका में बड़ा झीना अन्तर है. ‘तवायफ’ अरबी ‘तायफा’ का बहुवचन है जिसका अर्थ है व्यक्तियों का दल, विशेषत: गाने बजाने वालों का दल. इस मंडली में शामिल नाचने वाली को ही ‘तवायफ’ कहा गया है. मध्य युग में रईस और जमींदारों के घरों में विवाह या अन्य- उत्सवों में मुजरा होता था. मुजरे में कई तवायफ अपनी साथियों के साथ शामिल होती थीं. तवायफों की परिभाषा शब्दकोष में भी मिलती है. मुजरे में नाचने वाली नर्तकियों को तवायफ कहा जाता है.
 भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दिनों में अंग्रेजों ने गड़बड़ की. सभी नाचने वालियों को एक ही श्रेणी में रख इन्हें ‘नॉच गर्ल’ कहा. इसी के चलते समझ में यह अंतर मिटने लगा. अंग्रेजी चश्मे से लिखे गए इन अभिलेखों, क्रॉनिकल, गज़ेटियर में इन सबको नॉच गर्ल करार दिया गया. इस विषय पर सबसे प्रामाणिक लेखन अंग्रेज़ लेखक प्राण नेविल और फ्रेंचेस्का ऑरसीनी का है. जबकि हिन्दी में प्रामाणिक लेखन अमृत लाल नागर की ‘ये कोठेवालियां’ है.

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‘मुंबई ग्लोबल’ का २२वां पुरस्कार सम्मान समारोह ‘हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड २०२४’ सफलतापूर्वक संपन्न

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मुंबई ग्लोबल द्वारा आयोजित २२वें पुरस्कार/ सम्मान समारोह में ‘हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड २०२४’ गत् दिनों मुक्ति कल्चरल हॉल, मॉडल टाउन, अंधेरी पश्चिम, मुंबई में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ रायपुर (छत्तीसगढ़) के प्रख्यात चिकित्सक, कलाकार और समाजसेवी डॉ० अजय सहाय ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी अभिजीत राणे थे। वरिष्ठ पार्श्व गायक उदित नारायण, एक्टर प्रोड्यूसर धीरज कुमार, डायरेक्टर रुमी जाफरी, एक्टर दीपक पाराशर और अर्जुमन मुग़ल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। 

कला, विज्ञान, समाज सेवा व अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जानेवाला यह अवार्ड ‘मुंबई ग्लोबल’ पत्र समूह के प्रकाशक व संपादक राजकुमार तिवारी द्वारा आयोजित किया जाता है। व्यवस्था एवं आयोजन में सक्रिय रहे वरिष्ठ फ़िल्म प्रचारक, फिल्म पब्लिसिस्ट और फ़िल्म निर्माता पुनीत खरे
‘हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड २०२४’ से सम्मानित व्यक्तियों में प्रमुख नाम हैं –
निर्देशक नीरज सहाय व आर पी शर्मा, पॉप सिंगर गोल्डकिंग बलजीत सिंह व नितिन रॉक्स, सिंगर एक्टर नितिन राजपूत, एक्टर कमाल मलिक व रवि यादव, एक्टर मॉडल रिविका मणि व काजल सोलंकी, एक्ट्रेस हिमानी पाठक, डांस डायरेक्टर नेहा कोरे, मॉडल एक्ट्रेस सना खान, लीना कपूर, पूजा पांडेय, स्वागता बोस तथा मॉडल बिजनेस वूमन ज़ाहिरा शेख व रेणुका चौगले तथा बिजनेस वूमन व अभिनेत्री सुनीता बावा। इनके अतिरिक्त अंक ज्योतिष विशेषज्ञा रवीन्दर के कौर और बाल कलाकार ध्रुव राज चंद्रन।
इनके अलावा फैशन डिजाइनर मुनमुन चक्रवर्ती व रितु गोयल तथा हिन्दुस्तानी रत्न अवार्ड की ब्रांड एम्बेसडर प्रह्वि पाठक के नाम भी शुमार हैं। कुछ अन्य लोग जो सम्मानित हुए, उनमें प्रमुख हैं -+ मोहन शिंदे, शहनाज़ खान, लवकुश कुमार सिंह, चन्द्र प्रकाश निर्वाण, वैष्णवी निकम और डॉ० वैभव अंढारे।
इसी मंच पर कुछ सुंदरियों को मिस एवं मिसेज का क्राउन पहनाया गया। मिस हिन्दुस्तानी गोल्ड विनर सपना सिंह बनीं। डिंपल क्वीन शिखा को मिस ग्लोबल इंडिया प्लैटिनम विनर तो प्रियंका डे को मिस ग्लोबल इंडिया डायमंड का ताज पहनाया गया। जयश्री पाटिल मिसेज ग्लोबल इंडिया चुनी गई।
रनवे मॉडल के रूप में सम्मानित युवतियों के नाम हैं – पूजा राव, अन्नू सिंह, रुखसार खान और एरम सामी।

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Delhi Bus Trailer: दिल्ली की दिल दहला देने वाली घटना की याद दिला देगी फिल्म, एक्टर ताहिर कमाल बोले- सेंसर सर्टिफिकेट मिलने में 6 साल लग गए……………………………….

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मुंबई 24 नवंबर 2024 !16 दिसंबर 2012 की एक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। चलती बस में एक लड़की के साथ जिस तरीके से दरिंदगी की गई। उसने हमारे समाज को शर्मसार कर दिया। बतादें कि यह फिल्म पिछले 6 वर्षों से सेंसर में फंसी थी। अब इसे सेंसर ने पास कर दिया है।

फिल्म दिल्ली बस’ उसी घटना की याद दिलाती है। हाल ही में इस फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ है।1 मिनट 43 सेकेंड के ट्रेलर को देख कर निर्भया कांड की याद आ जाती है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि रात में एक कपल दिल्ली की सड़क पर
बाइक खराब हो गई है। वे दूसरे साधन की तलाश करते हैं। इसी दौरान उन्हें एक ऑटो रिक्शा वाला मिलता है, लेकिन ऑटो रिक्शा वाला ठंड का बहाना बनाकर उन्हें ले जाने से मना कर देता है। इसके बाद एक बस उन्हें खुद ही रोककर लिफ्ट देती है, जिसमें पहले से 6 लोग मौजूद रहते हैं। बस में युवती को देख वे बेकाबू हो जाते हैं, इसके बाद वो दरिंदे इस विभत्स घटना को अंजाम दे देते हैं।

शरीक मिन्हाज के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में शाहिद कपूर की मां नीलिमा आजमी के अलावा ताहिर कमाल खान ,अंजन श्रीवास्तव, आज़ाद हुसैन, दिव्या सिंह ,जावेद हैदर ,शीश खान और विक्की आहूजा की प्रमुख भूमिका है।

फिल्म के बारे में बातचीत करते हुए डायरेक्टर शरीक मिन्हाज ने कहा- यह फिल्म उस लड़की को श्रद्धांजलि है जो 2012 में हुए बर्बर गैंगरेप के बाद पूरे देश में निर्भया के रूप में जानी गई। इस फिल्म हम निर्भया को समर्पित करना चाहेंगे। निर्भया ने अपनी जिंदगी और सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी। हम उसे इस फिल्म के जरिए श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इस फिल्म के जरिए हम समाज में बदलावा लाना चाहते हैं। महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और समस्याओं को उजागर करना चाहते हैं।

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फिल्म में खास किरदार निभा रहे एक्टर ताहिर कमाल खान ने कहा- इस फिल्म के माध्यम से हमने सच्चाई दिखाने की कोशिश की है। फिल्म के कुछ दृश्यों को लेकर सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी। हमने इसके लिए कड़ी लड़ाई लड़ी। अब फिल्म को 6 साल के बाद सेंसर सर्टिफिकेट मिला है।

इस फिल्म के निर्माता विपुल शाह, सह-निर्माता तारिक खान हैं। फिल्म 29 नवंबर 2024 को रिलीज होगी। प्रचारक संजय भूषण पटियाला है।

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नागा चैतन्य को जन्मदिन के अवसर पर टीम तंडेल* ने जारी किया नया पोस्टर

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युवा सम्राट नागा चैतन्य की फ़िल्म तंडेलइस समय चर्चा का विषय बनी हुई है,फिल्म के पहले गाने बुज्जी थल्ली के रिलीज़ होने के बाद से लोगों की उत्सुकता काफी बढ़ गई है। रॉकस्टार देवी श्री प्रसाद द्वारा रचित यह गाना जल्द ही म्यूज़िक चार्ट में टॉप पर है ,तुरंत हिट हो गया। साई पल्लवी के साथ नागा चैतन्य पर फिल्माया गया यह गाना एक मधुर कृति है जिसने दर्शकों के दिलों को छू लिया है और फ़िल्म के संगीतमय सफ़र के लिए एक चार्टबस्टर टोन सेट किया है।

नागा चैतन्य को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देते हुए तंडेल के निर्माताओं ने एक दमदार पोस्टर जारी किया है। अपने हाथ में एक भारी लंगर पकड़े हुए, नागा चैतन्य एक भयंकर बारिश के बीच एक जहाज़ पर खड़े नज़र आ रहे हैं, उनकी तीव्र अभिव्यक्ति और शक्तिशाली रुख़ ख़तरे और दृढ़ संकल्प की भावना को व्यक्त कर रहा है। यह विशेष एक्शन सीक्वेंस फ़िल्म के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक होने जा रहा है।

नागा चैतन्य घनी दाढ़ी और लंबे बालों के साथ एक रॉ और खुरदुरे लुक में नज़र आ रहे हैं, और वे अपने दमदार अभिनय से प्रशंसकों को प्रभावित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जिस तरह से उन्होंने तंडेल में राजू की भूमिका निभाई है, उसे भारतीय सिनेमा में लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

वास्तविक घटनाओं से प्रेरित इस फ़िल्म का निर्माण बनी वास ने प्रतिष्ठित गीता आर्ट्स बैनर के तहत किया है और इसे अल्लू अरविंद ने प्रस्तुत किया है। शमदत ने कैमरा संभाला है, जबकि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता तकनीशियन नवीन नूली संपादक हैं। श्रीनागेंद्र तंगला प्रोडक्शन डिज़ाइनर हैं।

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फ़िल्म तंडेल* 7 फरवरी को रिलीज़ होने वाली है और टीम इस फिल्म के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

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