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1857के_गदर_के_महानायक Babu Veer Kunwar Singh

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(23 अप्रैल विजयोत्सव पर विशेष)
#बिहार के शाहाबाद (भोजपुर) जिले के जगदीशपुर गांव में कुंवर सिंह का जन्म 1777 में प्रसिद्ध शासक भोज के वंशजों में हुआ. उनके छोटे भाई अमर सिंह, दयालु सिंह और राजपति सिंह एवं इसी खानदान के बाबू उदवंत सिंह, उमराव सिंह तथा गजराज सिंह नामी जागीरदार रहे.बाबू कुंवर सिंह के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह जिला शाहाबाद की कीमती और अतिविशाल जागीरों के मालिक थे. सहृदय और लोकप्रिय कुंवर सिंह को उनके बटाईदार बहुत चाहते थे. वह अपने गांववासियों में लोकप्रिय थे ही साथ ही अंग्रेजी हुकूमत में भी उनकी अच्छी पैठ थी. कई ब्रिटिश अधिकारी उनके मित्र रह चुके थे लेकिन इस दोस्ती के कारण वह अंग्रेजनिष्ठ नहीं बने.
बिहार में दानापुर के क्रांतकारियो ने 25 जुलाई सन 1857 को विद्रोह कर दिया और आरा पर अधिकार प्राप्त कर लिया. इन क्रांतकारियों का नेतृत्व कर रहे थे वीर कुँवर सिंह.कुँवर सिंह बिहार राज्य में स्थित जगदीशपुर के जमींदार थे. कुंवर सिंह का जन्म सन 1777 में बिहार के भोजपुर जिले में जगदीशपुर गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम बाबू साहबजादा सिंह था. इनके पूर्वज मालवा के प्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे. कुँवर सिंह के पास बड़ी जागीर थी. किन्तु उनकी जागीर ईस्ट इंडिया कम्पनी की गलत नीतियों के कारण छीन गयी थी.जागीर ईस्ट इंडिया कम्पनी की गलत नीतियों के कारण छीन गयी थी.प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय कुँवर सिंह की उम्र 80 वर्ष की थी. वृद्धावस्था में भी उनमे अपूर्व साहस, बल और पराक्रम था. उन्होंने देश को पराधीनता से मुक्त कराने के लिए दृढ संकल्प के साथ संघर्ष किया.अंग्रेजो की तुलना में कुँवर सिंह के पास साधन सीमित थे परन्तु वे निराश नहीं हुए. उन्होंने क्रांतकारियों को संगठित किया. अपने साधनों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने छापामार युद्ध की नीति अपनाई और अंग्रेजो को बार – बार हराया. उन्होंने अपनी युद्ध नीति से अंग्रेजो के जन – धन को बहुत हानि पहुंचाई.कुँवर सिंह ने जगदीशपुर से आगे बढ़कर गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़ आदि जनपदों में छापामार युद्ध करके अंग्रेजो को खूब छकाया. वे युद्ध अभियान में बांदा, रीवां तथा कानपुर भी गये. इसी बीच अंग्रेजो को इंग्लैंड से नयी सहायता प्राप्त हुई. कुछ रियासतों के शासको ने अंग्रेजो का साथ दिया.एक साथ एक निश्चित तिथि को युद्ध आरम्भ न होने से अंग्रेजो को विद्रोह के दमन का अवसर मिल गया. अंग्रेजो ने अनेक छावनियो में सेना के भारतीय जवानो को निःशस्त्र कर विद्रोह की आशंका में तोपों से भून दिया.धीरे – धीरे लखनऊ, झाँसी, दिल्ली में भी विद्रोह का दमन कर दिया गया और वहां अंग्रेजो का पुनः अधिकार हो गया. ऐसी विषम परिस्थिति में भी कुँवर सिंह ने अदम्य शौर्य का परिचय देते हुए अंग्रेजी सेना से लोहा लिया. उन्हें अंग्रेजो की सैन्य शक्ति का ज्ञान था.वे एक बार जिस रणनीति से शत्रुओ को पराजित करते थे दूसरी बार उससे अलग रणनीति अपनाते थे. इससे शत्रु सेना कुँवर सिंह की रणनीति का निश्चित अनुमान नहीं लगा पाती थी.आजमगढ़ से 25 मील दूर अतरौलिया के मैदान में अंग्रेजो से जब युद्ध जोरो पर था तभी कुँवर सिंह की सेना सोची समझी रणनीति के अनुसार पीछे हटती चली गयी. अंग्रेजो ने इसे अपनी विजय समझा और खुशियाँ मनाई. अंग्रेजी की थकी सेना आम के बगीचे में ठहरकर भोजन करने लगी. ठीक उसी समय कुँवर सिंह की सेना ने अचानक आक्रमण कर दिया.शत्रु सेना सावधान नहीं थी. अतः कुँवर सिंह की सेना ने बड़ी संख्या में उनके सैनिको मारा और उनके शस्त्र भी छीन लिए. अंग्रेज सैनिक जान बचाकर भाग खड़े हुए. यह कुँवर सिंह की योजनाबद्ध रणनीति का परिणाम था.पराजय के इस समाचार से अंग्रेज बहुत चिंतित हुए. इस बार अंग्रेजो ने विचार किया कि कुँवर सिंह की फ़ौज का अंत तक पीछा करके उसे समाप्त कर दिया जाय. पूरे दल बल के साथ अंग्रेजी सैनिको ने पुनः कुँवर सिंह तथा उनके सैनिको पर आक्रमण कर दिया.युद्ध प्रारंभ होने के कुछ समय बाद ही कुँवर सिंह ने अपनी रणनीति में परिवर्तन किया और उनके सैनिक कई दलों में बँटकर अलग – अलग दिशाओ में भागे.उनकी इस योजना से अंग्रेज सैनिक संशय में पड़ गये और वे भी कई दलों में बँटकर कुँवर सिंह के सैनिको का पीछा करने लगे. जंगली क्षेत्र से परिचित न होने के कारण बहुत से अंग्रेज सैनिक भटक गये और उनमे बहुत सारे मारे गये. इसी प्रकार कुँवर सिंह ने अपनी सोची – समझी रणनीति में परिवर्तन कर अंग्रेज सैनिको को कई बार छकाया.कुँवर सिंह की इस रणनीति को अंग्रेजो ने धीरे – धीरे अपनाना शुरू कर दिया. एक बार जब कुँवर सिंह सेना के साथ बलिया के पास शिवपुरी घाट से रात्रि के समय किश्तयो में गंगा नदी पर कर रहे थे तभी अंग्रेजी सेना वहां पहुंची और अंधाधुंध गोलियां चलाने लगी.अचानक एक गोली कुँवर सिंह की बांह में लगी उन्होंने गोली लगी हाथ को काट कर गंगा मैया को समर्पित कर दिया .इसके बावजूद वे अंग्रेज सैनिको के घेरे से सुरक्षित निकलकर अपने गांव जगदीशपुर पहुँच गये. घाव के रक्त स्राव के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया और 26 अप्रैल सन 1858 को इस वीर और महान देशभक्त का देहावसान हो गया.
(लेखक अनूप नारायण सिंह वरिष्ठ पत्रकार व फिल्म सेंसर बोर्ड ( सूचना प्रसारण मंत्रालय) के सदस्य हैं)

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‘मुंबई ग्लोबल’ का २२वां पुरस्कार सम्मान समारोह ‘हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड २०२४’ सफलतापूर्वक संपन्न

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मुंबई ग्लोबल द्वारा आयोजित २२वें पुरस्कार/ सम्मान समारोह में ‘हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड २०२४’ गत् दिनों मुक्ति कल्चरल हॉल, मॉडल टाउन, अंधेरी पश्चिम, मुंबई में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ रायपुर (छत्तीसगढ़) के प्रख्यात चिकित्सक, कलाकार और समाजसेवी डॉ० अजय सहाय ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी अभिजीत राणे थे। वरिष्ठ पार्श्व गायक उदित नारायण, एक्टर प्रोड्यूसर धीरज कुमार, डायरेक्टर रुमी जाफरी, एक्टर दीपक पाराशर और अर्जुमन मुग़ल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। 

कला, विज्ञान, समाज सेवा व अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जानेवाला यह अवार्ड ‘मुंबई ग्लोबल’ पत्र समूह के प्रकाशक व संपादक राजकुमार तिवारी द्वारा आयोजित किया जाता है। व्यवस्था एवं आयोजन में सक्रिय रहे वरिष्ठ फ़िल्म प्रचारक, फिल्म पब्लिसिस्ट और फ़िल्म निर्माता पुनीत खरे
‘हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड २०२४’ से सम्मानित व्यक्तियों में प्रमुख नाम हैं –
निर्देशक नीरज सहाय व आर पी शर्मा, पॉप सिंगर गोल्डकिंग बलजीत सिंह व नितिन रॉक्स, सिंगर एक्टर नितिन राजपूत, एक्टर कमाल मलिक व रवि यादव, एक्टर मॉडल रिविका मणि व काजल सोलंकी, एक्ट्रेस हिमानी पाठक, डांस डायरेक्टर नेहा कोरे, मॉडल एक्ट्रेस सना खान, लीना कपूर, पूजा पांडेय, स्वागता बोस तथा मॉडल बिजनेस वूमन ज़ाहिरा शेख व रेणुका चौगले तथा बिजनेस वूमन व अभिनेत्री सुनीता बावा। इनके अतिरिक्त अंक ज्योतिष विशेषज्ञा रवीन्दर के कौर और बाल कलाकार ध्रुव राज चंद्रन।
इनके अलावा फैशन डिजाइनर मुनमुन चक्रवर्ती व रितु गोयल तथा हिन्दुस्तानी रत्न अवार्ड की ब्रांड एम्बेसडर प्रह्वि पाठक के नाम भी शुमार हैं। कुछ अन्य लोग जो सम्मानित हुए, उनमें प्रमुख हैं -+ मोहन शिंदे, शहनाज़ खान, लवकुश कुमार सिंह, चन्द्र प्रकाश निर्वाण, वैष्णवी निकम और डॉ० वैभव अंढारे।
इसी मंच पर कुछ सुंदरियों को मिस एवं मिसेज का क्राउन पहनाया गया। मिस हिन्दुस्तानी गोल्ड विनर सपना सिंह बनीं। डिंपल क्वीन शिखा को मिस ग्लोबल इंडिया प्लैटिनम विनर तो प्रियंका डे को मिस ग्लोबल इंडिया डायमंड का ताज पहनाया गया। जयश्री पाटिल मिसेज ग्लोबल इंडिया चुनी गई।
रनवे मॉडल के रूप में सम्मानित युवतियों के नाम हैं – पूजा राव, अन्नू सिंह, रुखसार खान और एरम सामी।

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Delhi Bus Trailer: दिल्ली की दिल दहला देने वाली घटना की याद दिला देगी फिल्म, एक्टर ताहिर कमाल बोले- सेंसर सर्टिफिकेट मिलने में 6 साल लग गए……………………………….

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मुंबई 24 नवंबर 2024 !16 दिसंबर 2012 की एक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। चलती बस में एक लड़की के साथ जिस तरीके से दरिंदगी की गई। उसने हमारे समाज को शर्मसार कर दिया। बतादें कि यह फिल्म पिछले 6 वर्षों से सेंसर में फंसी थी। अब इसे सेंसर ने पास कर दिया है।

फिल्म दिल्ली बस’ उसी घटना की याद दिलाती है। हाल ही में इस फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ है।1 मिनट 43 सेकेंड के ट्रेलर को देख कर निर्भया कांड की याद आ जाती है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि रात में एक कपल दिल्ली की सड़क पर
बाइक खराब हो गई है। वे दूसरे साधन की तलाश करते हैं। इसी दौरान उन्हें एक ऑटो रिक्शा वाला मिलता है, लेकिन ऑटो रिक्शा वाला ठंड का बहाना बनाकर उन्हें ले जाने से मना कर देता है। इसके बाद एक बस उन्हें खुद ही रोककर लिफ्ट देती है, जिसमें पहले से 6 लोग मौजूद रहते हैं। बस में युवती को देख वे बेकाबू हो जाते हैं, इसके बाद वो दरिंदे इस विभत्स घटना को अंजाम दे देते हैं।

शरीक मिन्हाज के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में शाहिद कपूर की मां नीलिमा आजमी के अलावा ताहिर कमाल खान ,अंजन श्रीवास्तव, आज़ाद हुसैन, दिव्या सिंह ,जावेद हैदर ,शीश खान और विक्की आहूजा की प्रमुख भूमिका है।

फिल्म के बारे में बातचीत करते हुए डायरेक्टर शरीक मिन्हाज ने कहा- यह फिल्म उस लड़की को श्रद्धांजलि है जो 2012 में हुए बर्बर गैंगरेप के बाद पूरे देश में निर्भया के रूप में जानी गई। इस फिल्म हम निर्भया को समर्पित करना चाहेंगे। निर्भया ने अपनी जिंदगी और सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी। हम उसे इस फिल्म के जरिए श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इस फिल्म के जरिए हम समाज में बदलावा लाना चाहते हैं। महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और समस्याओं को उजागर करना चाहते हैं।

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फिल्म में खास किरदार निभा रहे एक्टर ताहिर कमाल खान ने कहा- इस फिल्म के माध्यम से हमने सच्चाई दिखाने की कोशिश की है। फिल्म के कुछ दृश्यों को लेकर सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी। हमने इसके लिए कड़ी लड़ाई लड़ी। अब फिल्म को 6 साल के बाद सेंसर सर्टिफिकेट मिला है।

इस फिल्म के निर्माता विपुल शाह, सह-निर्माता तारिक खान हैं। फिल्म 29 नवंबर 2024 को रिलीज होगी। प्रचारक संजय भूषण पटियाला है।

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नागा चैतन्य को जन्मदिन के अवसर पर टीम तंडेल* ने जारी किया नया पोस्टर

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युवा सम्राट नागा चैतन्य की फ़िल्म तंडेलइस समय चर्चा का विषय बनी हुई है,फिल्म के पहले गाने बुज्जी थल्ली के रिलीज़ होने के बाद से लोगों की उत्सुकता काफी बढ़ गई है। रॉकस्टार देवी श्री प्रसाद द्वारा रचित यह गाना जल्द ही म्यूज़िक चार्ट में टॉप पर है ,तुरंत हिट हो गया। साई पल्लवी के साथ नागा चैतन्य पर फिल्माया गया यह गाना एक मधुर कृति है जिसने दर्शकों के दिलों को छू लिया है और फ़िल्म के संगीतमय सफ़र के लिए एक चार्टबस्टर टोन सेट किया है।

नागा चैतन्य को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देते हुए तंडेल के निर्माताओं ने एक दमदार पोस्टर जारी किया है। अपने हाथ में एक भारी लंगर पकड़े हुए, नागा चैतन्य एक भयंकर बारिश के बीच एक जहाज़ पर खड़े नज़र आ रहे हैं, उनकी तीव्र अभिव्यक्ति और शक्तिशाली रुख़ ख़तरे और दृढ़ संकल्प की भावना को व्यक्त कर रहा है। यह विशेष एक्शन सीक्वेंस फ़िल्म के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक होने जा रहा है।

नागा चैतन्य घनी दाढ़ी और लंबे बालों के साथ एक रॉ और खुरदुरे लुक में नज़र आ रहे हैं, और वे अपने दमदार अभिनय से प्रशंसकों को प्रभावित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जिस तरह से उन्होंने तंडेल में राजू की भूमिका निभाई है, उसे भारतीय सिनेमा में लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

वास्तविक घटनाओं से प्रेरित इस फ़िल्म का निर्माण बनी वास ने प्रतिष्ठित गीता आर्ट्स बैनर के तहत किया है और इसे अल्लू अरविंद ने प्रस्तुत किया है। शमदत ने कैमरा संभाला है, जबकि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता तकनीशियन नवीन नूली संपादक हैं। श्रीनागेंद्र तंगला प्रोडक्शन डिज़ाइनर हैं।

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फ़िल्म तंडेल* 7 फरवरी को रिलीज़ होने वाली है और टीम इस फिल्म के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

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