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जानिए सालासर बालाजी की कहानी- Nitin Pujari की जुबानी। 

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श्री सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरु जिले में स्थित है। सालासर बालाजी का मेला भक्तों के लिए एक त्योहार के समान महत्व रखता है। ये मेला चैत्र (मार्च-अप्रैल) और अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) के मास में आयोजित किया जाता है। करीब दस-पंद्रह दिन के इस मेले में देश-विदेश से लोग आते हैं। यह विदेशी लोगो के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। दूर-दराज से लोग मन्नत मांगने और नारियल चढ़ाने आते है। नितिन पुजारी जी पूरी श्रद्धा के साथ अपने बालाजी की सेवा में लगे हुए हैं। वे मिट्ठू पुजारी के पुत्र हैं, एवम कनीराम जी के वंशज हैं। अपने प्रेरणादयक भाषण और मंदिर के लिए किए गए कार्यों की वजह से, नितिन पुजारी ने भक्तों के दिल में एक खास जगह बनाई है। वह सालासर के एक जाने-माने चेहरों में से एक है। समाज के प्रति उनके किए गए कार्यों की वजह से उन्हें संसद में भी नवाजा गया है। भारत सरकार ने उन्हें एक शॉल के साथ नवाजा है। नितिन पुजारी ने सालासर मंदिर के बनने के पीछे की पूरी कहानी हमें बताई। 
बहुत साल पहले पंडित सुखराम जी सालासर में निवास करते थे। भी वहां अपनी पत्नी कांहीबाई के साथ रहा करते थे। कुछ सालों बाद परमपिता परमेश्वर ने उन्हें एक पुत्र के रूप में आशीर्वाद दिया। उन्होंने उसका नाम श्री उदय राम रखा। जब उदय राम 5 वर्ष के हुए, तब पंडित सुखराम जी की मृत्यु हो गई। कांहीबाई के ऊपर एक बच्चे की जिम्मेदारी थी और वह बिल्कुल अकेली थी। उन्होंने अपने पिता के घर रहने का फैसला किया। उनके पिता का घर रूल्याणी गांव में स्थित था। जब पंडित उदय राम समझदार हो गए तब कांहीबाई ने सालासर वापस आने का निर्णय लिया। उनके पिता पंडित लच्छी राम उनके लिए चिंतित थे। उन्होंने अपने सबसे छोटे बेटे को उनके साथ भेज दिया। पंडित मोहन दास अपनी बहन के साथ सलासर आ गए। वह भगवान हनुमान के भक्त थे। वो अपना जीवन उनके चरणों में बिताना चाहते थे एवम ब्रह्मचार्य अपनाना चाहते थे। 
 
एक दिन पंडित उदयराम और पंडित मोहन दास खेत में हल जोत रहे थे। मोहन दास की पकड़ कुल्हाड़ी से छूटने लगी। कुल्हाड़ी उनके हाथों से बार बार गिर रही थी। उन्होंने इसके बारे में उदय राम को बताया। पंडित मोहन दास इसको आध्यात्मिकता से जोडके देख रहे थे। उनका पूर्णतया विश्वास था कि यह उनके प्रभु हनुमान की लीला है। उदय राम ने यह बात अपनी माता कान्हिबाई को बताई। उन्हें अपने भाई की चिंता होने लगी। वह नहीं चाहती थी कि वह आध्यात्मिकता के रास्ते पर जाकर दुनिया से अलग हो जाए। उन्होंने उनकी शादी के लिए कन्या का चयन करना शुरू किया। गांव में शगुन लेकर जाने वाला नाई होता है। जब वह नाई कन्या के घर शगुन ले कर के जा रहा था तभी पंडित मोहन दास ने एक भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा कि जिस कन्या के घर शगुन जा रहा है उसकी मृत्यु हो जाएगी। उनका कहा हुआ यह वाक्य पूर्णता है सत्य साबित हुआ। उसके बाद पंडित मोहन दास को सभी लोग एक साधु संत के रूप में देखने लगे। 
फिर मोहनदास अपने प्रभु हनुमान की भक्ति में लीन हो गए। वह काफी दिनों तक जंगल में जाकर तपस्या करते थे। उनका केवल एक ही उद्देश्य था अपने ग्रुप हनुमान के चरणों में आजीवन अर्पित करना। एक दिन वह अपनी बहन कान्हीबाई के साथ भोजन कर रहे थे। तभी दरवाजे पर एक आवाज सुनाई दी ‘अलख’। कहानी भाई जैसे ही उस भिक्षुक को भोजन देने के लिए बाहर गई, वो वहां से गायब हो गए। पंडित मोहन दास को पूर्णतया विश्वास हो गया कि वह उनके प्रभु हनुमान ही थे। वो नंगे पैर बाहर जाकर उन्हें बहुत देर तक खोजते रहे परंतु कुछ नहीं मिला। मोहनदास बेहद उदास हो गए परंतु वह हमेशा की तरह अपनी तपस्या में लीन रहे। 
दो मास उपरांत वही आवाज दरवाजे पर सुनाई दी। कांहीबाई ने आवाज को पहचान लिया। उन्होंने तुरंत मोहनदास को अवगत कराया। मोहनदास उनके पीछे भागे भागे जंगल की तरफ गए। एक जगह पर आकर वह भिक्षुक रुक गए। मोहनदास ने देखा की उस भिक्षुक का चेहरा बेहद चमकदार एवं पवित्र था। उन्होंने दाढ़ी एवं मुछ रखी हुई थी और उनके हाथों में एक छड़ी थी। मोहनदास को दर्शन देकर वह भिक्षुक आगे बढ़ने लगे। मोहनदास उनके पीछे पीछे भागे। हनुमान जी ने उनसे पूछा कि, “तुम्हें क्या चाहिए भक्त”। मोहनदास समझ गए कि यह उनकी परीक्षा है। वह उनके चरणों में गिर गए। उन्होंने कहा कि, “हे प्रभु, मैं संतुष्ट एवं खुश हूं। मुझे किसी वर की इच्छा नहीं है।” मोहनदास ने उनसे आग्रह किया कि वे उनके साथ उनके घर चलें। हनुमान जी ने उनके इस आग्रह को स्वीकार किया। उन्होंने उनके घर जाकर भोजन किया व एक अछूत चारपाई पर विश्राम किया। उसके बाद हनुमान जी गायब हो गए।
उनके एक दर्शन मात्र ने मोहनदास को वरदान दे दिया। उन्होंने हनुमान जी से रोज दर्शन की का आग्रह भी किया। अपने प्रिय भक्त के आग्रह तो प्रभु कैसे अस्वीकार कर पाते। मोहनदास चाहते थे कि हनुमानजी एक पल भी उनसे दूर ना हो। हनुमान जी ने भी मोहन दास की इच्छा अनुसार उन्हें दर्शन दिए। उन्होंने मोहनदास से एक वचन दिया कि वह सालासर में श्री बालाजी महाराज के रूप में स्थापित होंगे। मोहनदास ने अपनी तपस्या व पूजा जारी रखी। वह उस दिन का इंतजार करते रहे जिस दिन उनके हनुमान जी हमेशा उनके साथ होंगे। 
फिर एक दिन असोता गांव के ठाकुर मोहनदास जी से मिलने आए। उन्होंने उनसे सेवा का आग्रह किया वह पूछा कि वह उनके लिए क्या कर सकते हैं। मोहन दास जी ने उनसे एक अच्छे मूर्ति चित्रकार के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि वह हनुमान जी की एक बेहद अच्छी मूर्ति चाहते हैं। ठाकुर ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह उनकी यह इच्छा जरूर पूरी करेंगे। इतना कहकर वह अपने गांव वापस चले गए। एक दिन आसोता गांव में एक किसान का हल खेती करते वक्त अटक गया। जब उसने वहां खुदाई शुरू की तो वहां उसे हनुमान जी की मूर्ति मिली। उसने इस बारे में ठाकुर को अवगत कराया। उसी रात ठाकुर के सपने में हनुमानजी ने दर्शन दिए, उन्होने बताया कि वह मूर्ति मोहन दास के लिए है। ठाकुर यह सुनके बेहद खुश हुआ और अगले ही दिन गांव के कुछ लोगो के साथ भजन कीर्तन करते हुए सालासर के लिए प्रस्थान किया।
जिस दिन वह मूर्ति स्थापित हुई, वो दिन सम्वत १८११ (1811) में था। यही कारण था कि वहां सालासर बालाजी का मंदिर भी संवत 1815 में बनाया गया। उस मूर्ति को उसी रूप में सजाया गया जिस तरह से मोहनदास के हनुमान जी ने उन्हें पहली बार दर्शन दिए थे। मंदिर के निर्माण के कुछ समय पश्चात मोहनदास ने सारी शिक्षा दीक्षा उदय राम को देखकर मंदिर और मूर्ति की जिम्मेदारी उसे दे दी। सम्वत 1811 में वहां अमर ज्योत जलाई गई जो कि आज भी उसी रूप में अनंत में जल रही है। 
मोहन दास ने संवत 1850 में जीवित समाधि ले ली। वो बैसाख त्रियोदशी का दिन था। मोहनदास के श्राद्ध वाले दिन सालासर बालाजी में एक उत्सव का आयोजन होता है। वह पित्र पक्ष त्रयोदशी का दिन था। श्री सालासर बालाजी महाराज का मंदिर आज भारत के हिंदुओं के लिए धाम स्वरूप है। 
 
आज नितिन पुजारी श्रद्धालुओं को प्रेरित करने में बेहद अच्छा योगदान दे रहें है। वो लोगो का उनके भगवान में विश्वास पुनः स्थापित कर रहे हैं। चाहे वह ऑनलाइन दर्शन हो या गौ माता की सेवा, नितिन पुजारी हर वक्त लोगो को प्रेरित करने का काम कर रहें है।

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‘मुंबई ग्लोबल’ का २२वां पुरस्कार सम्मान समारोह ‘हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड २०२४’ सफलतापूर्वक संपन्न

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मुंबई ग्लोबल द्वारा आयोजित २२वें पुरस्कार/ सम्मान समारोह में ‘हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड २०२४’ गत् दिनों मुक्ति कल्चरल हॉल, मॉडल टाउन, अंधेरी पश्चिम, मुंबई में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ रायपुर (छत्तीसगढ़) के प्रख्यात चिकित्सक, कलाकार और समाजसेवी डॉ० अजय सहाय ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी अभिजीत राणे थे। वरिष्ठ पार्श्व गायक उदित नारायण, एक्टर प्रोड्यूसर धीरज कुमार, डायरेक्टर रुमी जाफरी, एक्टर दीपक पाराशर और अर्जुमन मुग़ल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। 

कला, विज्ञान, समाज सेवा व अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जानेवाला यह अवार्ड ‘मुंबई ग्लोबल’ पत्र समूह के प्रकाशक व संपादक राजकुमार तिवारी द्वारा आयोजित किया जाता है। व्यवस्था एवं आयोजन में सक्रिय रहे वरिष्ठ फ़िल्म प्रचारक, फिल्म पब्लिसिस्ट और फ़िल्म निर्माता पुनीत खरे
‘हिन्दुस्तान रत्न अवार्ड २०२४’ से सम्मानित व्यक्तियों में प्रमुख नाम हैं –
निर्देशक नीरज सहाय व आर पी शर्मा, पॉप सिंगर गोल्डकिंग बलजीत सिंह व नितिन रॉक्स, सिंगर एक्टर नितिन राजपूत, एक्टर कमाल मलिक व रवि यादव, एक्टर मॉडल रिविका मणि व काजल सोलंकी, एक्ट्रेस हिमानी पाठक, डांस डायरेक्टर नेहा कोरे, मॉडल एक्ट्रेस सना खान, लीना कपूर, पूजा पांडेय, स्वागता बोस तथा मॉडल बिजनेस वूमन ज़ाहिरा शेख व रेणुका चौगले तथा बिजनेस वूमन व अभिनेत्री सुनीता बावा। इनके अतिरिक्त अंक ज्योतिष विशेषज्ञा रवीन्दर के कौर और बाल कलाकार ध्रुव राज चंद्रन।
इनके अलावा फैशन डिजाइनर मुनमुन चक्रवर्ती व रितु गोयल तथा हिन्दुस्तानी रत्न अवार्ड की ब्रांड एम्बेसडर प्रह्वि पाठक के नाम भी शुमार हैं। कुछ अन्य लोग जो सम्मानित हुए, उनमें प्रमुख हैं -+ मोहन शिंदे, शहनाज़ खान, लवकुश कुमार सिंह, चन्द्र प्रकाश निर्वाण, वैष्णवी निकम और डॉ० वैभव अंढारे।
इसी मंच पर कुछ सुंदरियों को मिस एवं मिसेज का क्राउन पहनाया गया। मिस हिन्दुस्तानी गोल्ड विनर सपना सिंह बनीं। डिंपल क्वीन शिखा को मिस ग्लोबल इंडिया प्लैटिनम विनर तो प्रियंका डे को मिस ग्लोबल इंडिया डायमंड का ताज पहनाया गया। जयश्री पाटिल मिसेज ग्लोबल इंडिया चुनी गई।
रनवे मॉडल के रूप में सम्मानित युवतियों के नाम हैं – पूजा राव, अन्नू सिंह, रुखसार खान और एरम सामी।

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Delhi Bus Trailer: दिल्ली की दिल दहला देने वाली घटना की याद दिला देगी फिल्म, एक्टर ताहिर कमाल बोले- सेंसर सर्टिफिकेट मिलने में 6 साल लग गए……………………………….

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मुंबई 24 नवंबर 2024 !16 दिसंबर 2012 की एक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। चलती बस में एक लड़की के साथ जिस तरीके से दरिंदगी की गई। उसने हमारे समाज को शर्मसार कर दिया। बतादें कि यह फिल्म पिछले 6 वर्षों से सेंसर में फंसी थी। अब इसे सेंसर ने पास कर दिया है।

फिल्म दिल्ली बस’ उसी घटना की याद दिलाती है। हाल ही में इस फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ है।1 मिनट 43 सेकेंड के ट्रेलर को देख कर निर्भया कांड की याद आ जाती है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि रात में एक कपल दिल्ली की सड़क पर
बाइक खराब हो गई है। वे दूसरे साधन की तलाश करते हैं। इसी दौरान उन्हें एक ऑटो रिक्शा वाला मिलता है, लेकिन ऑटो रिक्शा वाला ठंड का बहाना बनाकर उन्हें ले जाने से मना कर देता है। इसके बाद एक बस उन्हें खुद ही रोककर लिफ्ट देती है, जिसमें पहले से 6 लोग मौजूद रहते हैं। बस में युवती को देख वे बेकाबू हो जाते हैं, इसके बाद वो दरिंदे इस विभत्स घटना को अंजाम दे देते हैं।

शरीक मिन्हाज के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में शाहिद कपूर की मां नीलिमा आजमी के अलावा ताहिर कमाल खान ,अंजन श्रीवास्तव, आज़ाद हुसैन, दिव्या सिंह ,जावेद हैदर ,शीश खान और विक्की आहूजा की प्रमुख भूमिका है।

फिल्म के बारे में बातचीत करते हुए डायरेक्टर शरीक मिन्हाज ने कहा- यह फिल्म उस लड़की को श्रद्धांजलि है जो 2012 में हुए बर्बर गैंगरेप के बाद पूरे देश में निर्भया के रूप में जानी गई। इस फिल्म हम निर्भया को समर्पित करना चाहेंगे। निर्भया ने अपनी जिंदगी और सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी। हम उसे इस फिल्म के जरिए श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इस फिल्म के जरिए हम समाज में बदलावा लाना चाहते हैं। महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और समस्याओं को उजागर करना चाहते हैं।

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फिल्म में खास किरदार निभा रहे एक्टर ताहिर कमाल खान ने कहा- इस फिल्म के माध्यम से हमने सच्चाई दिखाने की कोशिश की है। फिल्म के कुछ दृश्यों को लेकर सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी। हमने इसके लिए कड़ी लड़ाई लड़ी। अब फिल्म को 6 साल के बाद सेंसर सर्टिफिकेट मिला है।

इस फिल्म के निर्माता विपुल शाह, सह-निर्माता तारिक खान हैं। फिल्म 29 नवंबर 2024 को रिलीज होगी। प्रचारक संजय भूषण पटियाला है।

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नागा चैतन्य को जन्मदिन के अवसर पर टीम तंडेल* ने जारी किया नया पोस्टर

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युवा सम्राट नागा चैतन्य की फ़िल्म तंडेलइस समय चर्चा का विषय बनी हुई है,फिल्म के पहले गाने बुज्जी थल्ली के रिलीज़ होने के बाद से लोगों की उत्सुकता काफी बढ़ गई है। रॉकस्टार देवी श्री प्रसाद द्वारा रचित यह गाना जल्द ही म्यूज़िक चार्ट में टॉप पर है ,तुरंत हिट हो गया। साई पल्लवी के साथ नागा चैतन्य पर फिल्माया गया यह गाना एक मधुर कृति है जिसने दर्शकों के दिलों को छू लिया है और फ़िल्म के संगीतमय सफ़र के लिए एक चार्टबस्टर टोन सेट किया है।

नागा चैतन्य को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देते हुए तंडेल के निर्माताओं ने एक दमदार पोस्टर जारी किया है। अपने हाथ में एक भारी लंगर पकड़े हुए, नागा चैतन्य एक भयंकर बारिश के बीच एक जहाज़ पर खड़े नज़र आ रहे हैं, उनकी तीव्र अभिव्यक्ति और शक्तिशाली रुख़ ख़तरे और दृढ़ संकल्प की भावना को व्यक्त कर रहा है। यह विशेष एक्शन सीक्वेंस फ़िल्म के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक होने जा रहा है।

नागा चैतन्य घनी दाढ़ी और लंबे बालों के साथ एक रॉ और खुरदुरे लुक में नज़र आ रहे हैं, और वे अपने दमदार अभिनय से प्रशंसकों को प्रभावित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जिस तरह से उन्होंने तंडेल में राजू की भूमिका निभाई है, उसे भारतीय सिनेमा में लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

वास्तविक घटनाओं से प्रेरित इस फ़िल्म का निर्माण बनी वास ने प्रतिष्ठित गीता आर्ट्स बैनर के तहत किया है और इसे अल्लू अरविंद ने प्रस्तुत किया है। शमदत ने कैमरा संभाला है, जबकि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता तकनीशियन नवीन नूली संपादक हैं। श्रीनागेंद्र तंगला प्रोडक्शन डिज़ाइनर हैं।

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फ़िल्म तंडेल* 7 फरवरी को रिलीज़ होने वाली है और टीम इस फिल्म के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

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