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सोमा राठौड़: ‘‘मैं ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में रोहिताश्व की मां का किरदार निभाने को लेकर नर्वस थी, क्योंकि वह मुझसे 20 साल बड़े हैं‘‘

सोमा राठौड़: ‘‘मैं ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में रोहिताश्व की मां का किरदार निभाने को लेकर नर्वस थी, क्योंकि वह मुझसे 20 साल बड़े हैं‘‘

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‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अम्मा जी का किरदार निभा रहीं अभिनेत्री सोमा राठौड़ ने अपनी बेहतरीन काॅमिक टाइमिंग से प्रशंसकों को खूब हंसाया है। हमारे साथ एक मजेदार बातचीत में, इस 38 वर्षीय अभिनेत्री ने अभिनय के अपने प्रेरणादायक सफर पर चर्चा की और व्यक्तिगत एवं पेशेवर जिंदगी की चुनौतियों से उबरने के बारे में बात की।

1ण् अभिनेत्री के रूप में आपका यह सफर कैसा रहा?
इस इंडस्ट्री में बतौर ऐक्टर मेरा सफर बहुत उतार-चढ़ाव भरा रहा है। आपने अभिनय के लिये कलाकारों पर वजन घटाने के दबाव की कहानियां तो बहुत सुनी होंगी, लेकिन मेरी कहानी अलग है, क्योंकि मुझे अपने किरदार के लिये वजन बढ़ाना पड़ा। मैंने जब ऐक्टर बनने का फैसला किया और आॅडिशन्स देने शुरू किये, तो मैं बहुत ज्यादा पतली या मोटी नहीं थी। क्योंकि, मैं किसी किरदार की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही थी, इसलिये बार-बार रिजेक्ट हो जाती थी। फिर मेरे एक दोस्त ने मुझे सुझाया कि मुझे वजन बढ़ाना चाहिये, क्योंकि इससे बहुत ज्यादा मोटे किरदारों को निभाने का मुझे मौका मिल सकता है। इसलिये मैंने प्लस साइज रोल्स के लिये कास्टिंग डायरेक्टर्स की नजरों में आने के लिये अपना वजन बढ़ाया, जो हमारी इंडस्ट्री में आम बात नहीं है। इससे मुझे टीवी इंडस्ट्री में काफी काम मिला और मैं ‘भाबीजी घर पर हैं‘ जैसे हिट शो का हिस्सा बन पाई।

2ण् क्या आपको मिले रिजेक्शन्स अभिनय को अपने कॅरियर के रूप में अपनाने से आपको रोक पाये?
ज्यादा मोटा होने से हमें यह अहसास होता है हम इस दुनिया के लिये बने ही नहीं हैं। लोग हमारे मोटापे को लेकर हमारी हंसी उड़ाते हैं। हमें अपनी साइज के कपड़े भी नहीं मिलते, क्योंकि हमारी साइज के कपड़े बनाये ही नहीं जाते। हां, इससे तकलीफ तो जरूर होती है, लेकिन मैंने कभी भी ऐक्टिंग के अपने कॅरियर को छोड़ने के बारे में नहीं सोचा। बल्कि मैंने खुद और भी मजबूत बनाया और खुद ही अपने मोटापे का मजाक उड़ाने लगी, क्योंकि आपको मेरे मोटापे पर हंसने का अधिकार नहीं है। दूसरे लोग आपके जैसे हिम्मती नहीं हो सकते हैं, लेकिन आपको हमेशा खुद को स्वीकार करना चाहिये और अपने आप से प्यार करना चाहिये।

3ण् अब आपने इंडस्ट्री में अपनी एक पहचान बना ली है। क्या आप अभी भी मोटे किरदारों को निभाना चाहेंगी?

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मुझे अम्मा जी का किरदार निभाने में बहुत मजा आ रहा है, क्योंकि इसने मुझे भारतीय टेलीविजन पर एक अनूठी पहचान दी है। यदि किरदार की बात करें तो इंडस्ट्री में मेरे मुकाबले में काफी कम लोग हैं। इसलिये मोटापे की वजह से, मुझे उन किरदारों को निभाने का फायदा होता है, जो खासतौर से मुझे ध्यान में रखकर लिखे जाते हैं।

4ण् अम्मा जी का आपका किरदार घर-घर में मशहूर हो गया है। जब आपने ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में काम शुरू किया था, तो क्या आपको इसकी कोई अपेक्षा थी?
जब मुझे रोल आॅफर किया गया था, तो मैं एक मां का किरदार निभाने को लेकर घबराई हुई थी। मुझे रोहिताश्व की मां का किरदार निभाने के लिये कहा गया था, जो न सिर्फ उम्र में मुझसे 20 साल बड़े हैं, बल्कि इंडस्ट्री में उन्हें मुझसे 20 साल से ज्यादा का अनुभव भी है। लेकिन हमारे डायरेक्टर शशांक बाली और राइटर मनोज संतोषी ने मुझे यह रोल लेने के लिये मनाया, क्योंकि वे इस किरदार की संभावनाओं और उसमें मेरी भागीदारी को देख रहे थे। और आज मैं उनकी बहुत शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे अम्मा जी का किरदार दिया, जिसने मुझे घर-घर में पहचान दिला दी है। मुझे खुद भी इस किरदार को निभाने में बहुत मजा आ रहा है। वह एक ऐसी शख्स है, जिसके साथ उलझने की किसी की हिम्मत नहीं है। लेकिन इसके साथ ही वह अनूठे तरीके से अपनी बहू रानी को सपोर्ट भी करती है। सच कहूं, तो मैं चाहती हूं कि असली जिंदगी में भी हर साूु मां इसी तरह से अपनी बहुओं को सपोर्ट करें(हंसते हुये)।

5ण् असली जिंदगी में रोहिताश्व और शुभांगी के साथ आपका रिश्ता कैसा है?
रोहिताश्व जी और शुभांगी अत्रे के साथ मेरा रिश्ता किसी भी कल्पना से परे है। हम बेस्ट फ्रेंड्स हैं और सेट पर एक साथ मिलकर कारस्तानियां करते हैं। मैं हमेशा से ही एक जिंदादिल, मस्त और बेफिक्र शख्स रही हूं। शुरूआत में, रोहिताश्व जी के साथ स्क्रीन शेयर करते हुये मुझे बहुत घबराहट हो रही थी, क्योंकि वो मुझसे काफी सीनियर हैं, लेकिन उन्होंने चीजों को बहुत ज्यादा सहज बना दिया और अब परदे के बाहर भी हमारी बाॅडिंग बहुत मजबूत है। हम जब सेट पर होते हैं, तो एक-दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करते हैं। और मुझे शो के कलाकारों के साथ रील्स बनाने में बहुत मजा आता है। जब वे आस-पास होते हैं, तो मुझे कभी भी बोरियत नहीं होती है। सिर्फ वे ही नहीं, बल्कि पूरी टीम मुझे अम्मा जी कहकर बुलाती है और मैं उन सभी से बहुत प्यार करती हूं।

6ण् इस इंडस्ट्री में कॅरियर बनाने के इच्छुक कलाकारों को आप क्या सलाह देना चाहेंगी?

आपको खुद पर विश्वास करना चाहिये और आप चाहे किसी भी उम्र के हों, आपकी बाॅडी कैसी भी हो या आप लड़का हो अथवा लड़की ऐक्टिंग को कॅरियर बनाने का जुनून आपमें होना ही चाहिये। अपने सपनों के पीछे भागें, फिर चाहे वे छोटे हों या बड़ें और कभी भी हार नहीं मानें।

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सोमा राठौड़ को ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अम्मा जी का किरदार निभाते हुए देखिये, हर सोमवार से शुक्रवार, रात 10ः30 बजे सिर्फ एण्डटीवी पर!

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माही श्रीवास्तव और शिवानी सिंह का नया सांग ‘नजरें में कजरे बन के’ हुआ रिलीज

माही श्रीवास्तव और शिवानी सिंह का नया सांग ‘नजरें में कजरे बन के’ हुआ रिलीज

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माही श्रीवास्तव और शिवानी सिंह का नया सांग 'नजरें में कजरे बन के' हुआ रिलीज

भोजपुरी इंडस्ट्री हॉट और बोल्ड एक्ट्रेस माही श्रीवास्तव अब रोके किसी के रुकने वाली नहीं है। उनके गानों ने तो मानो यूट्यूब पर आग लगा रखी है। इनके फैंस की एक लंबी चौड़ी लिस्ट है, जो इनके परफॉर्म किये गानों को एक दिन में ही मिलियन से ज्यादा व्यूज दिला देते हैं। इनका हालिया रिलीज सांग ‘दोहा में जाके में करबा’ को एक दिन में 1 मिलियन से ज्यादा व्यूज हासिल हो चुके हैं। वही अब इनका नया सांग भी यूट्यूब पर धमाल मचा रहा है। इस गाने के बोल हैं ‘नजरें में कजरे बन के’। इस सांग को भी सिंगर शिवानी सिंह ने गाया है। आजकल भोजपुरी इंडस्ट्री में इनकी आवाज का भी डंका बज रहा है। इनके गाए हर सांग को आप यूपी बिहार छोड़िए साहब ये तो भोजपुरी गानों का गढ़ माना जाता है, लेकिन अब ये सांग आपको महानगर मुंबई में भी सुनने को मिले रहे हैं।
लिंकः https://youtu.be/ESOzm2DdLi4
माही के सांग ‘नजरें में कजरे बन के’ की शुरुआत बनके धमाकेदार एक्सप्रेसन के साथ होती है। और माही कहती है कि नाम ले तो हर दिल धड़केला ताबे ओढनिया सरकेला मार लेला मोतिया तो आँखे हुई छतिया में धास जा ए राजा जी नजरे में कजरे बनके बस जा ए राजा जी।
इस सांग की लोकेशन बेहद ही खास है। जहां गाने में माही का साथ बैकग्राउंड डांसरों ने भी बखूबी दिया है। और सांग को इतना ग्रैंड बना दिया है। सांग में माही ने इंडियन और वेस्टर्न दोनों ही आउटफिट का इस्तेमाल किया है। जो एक दम मनमोहक है। खबर लिखे जाने तक 1 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। वही इसको 8.7K से ज्यादा लाइक्स भी मिल चुके हैं।
‘नजरे में कजरे बन के’ के सांग को सिंगर शिवानी सिंह ने गाया है। इसका लेखन आशुतोष तिवारी ने किया है। इसका संगीत विकास यादव ने तैयार किया है। इसमें निर्माता रत्नाकर कुमार है। गाने का निर्देशन भोजपुरिया ने किया है। इसकी कोरियोग्राफी गोल्डी-बॉबी ने की है। रिकॉर्डिंग जेपी तिवारी (संगम स्टूडियो) में की गई है

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इंटरव्यू

फिल्म “अंत द एंड” की शूटिंग करते समय देव शर्मा और समीक्षा भटनागर में हुई गहरी दोस्ती, दिखेगी रियल केमिस्ट्री

फिल्म “अंत द एंड” की शूटिंग करते समय देव शर्मा और समीक्षा भटनागर में हुई गहरी दोस्ती, दिखेगी रियल केमिस्ट्री

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फिल्म "अंत द एंड" की शूटिंग करते समय देव शर्मा और समीक्षा भटनागर में हुई गहरी दोस्ती, दिखेगी रियल केमिस्ट्री

राष्ट्रीय पुरस्कार विनर दिव्या दत्ता, यारियां फेम देव शर्मा और पोस्टर बॉयज़ फेम समीक्षा भटनागर के अभिनय से सजी सस्पेंस थ्रिलर फिल्म “अंत द एंड” जल्द रिलीज के लिए तैयार है। फ़िल्म के निर्माता निर्देशक के एस मल्होत्रा ​​(कुलजीत सिंह मल्होत्रा) हैं।

देव शर्मा यह फ़िल्म करके काफी उत्साहित हैं क्योंकि उन्होंने रोमांटिक, कॉमेडी, और एक्शन फिल्मे तो कर ली हैं लेकिन ऐसी थ्रिलर फिल्म फर्स्ट टाइम करके उन्हें बेहद मजा आया है। वह कहते हैं “अंत द एंड एक मर्डर मिस्ट्री है, सस्पेंस थ्रिलर सिनेमा है, फ़िल्म में तीन अलग अलग कहानियां एक साथ चल रही हैं। इसमें मैं दिव्या दत्ता के पति का किरदार निभा रहा हूँ और कहीं न कहीं तीनों कहानियों से जुड़ा हुआ हूँ। मैं एक ऐसा कॉन मैन भी प्ले कर रहा हूँ जो लड़कियों से धोखे से पैसे भी ले लेता है। दिव्या दत्ता जैसी सीनियर ऎक्ट्रेस के साथ काम करने का अनुभव अच्छा रहा, काफी कुछ सीखने को मिला। पहली बार ऐसे जॉनर का सिनेमा और ऐसे टाइप की भूमिका निभाई है। हर बार मैं कुछ नया किरदार प्ले करने का प्रयास करता रहता हूँ, यह भी मेरे लिए एक चैलेंजिंग किरदार रहा।
देव शर्मा अपनी को ऎक्टर के बारे में कहते हैं “समीक्षा भटनागर काफी सुलझी हुई अदाकारा हैं और कमाल की डांसर हैं। उनके साथ बेहतर ट्यूनिंग रही, शूटिंग करते करते हम फ्रेंड्स बन गए। उनके साथ इस फ़िल्म का पार्टी नम्बर लोग काफी पसन्द कर रहे हैं। हमारी फ़िल्म का काफी स्ट्रोंग पॉइंट म्युज़िक है। मेरे अपकमिंग प्रोजेक्ट्स में अंत के अलावा कई और फिल्मे, वेब सीरीज हैं। वेब सीरीज आर्टिस्ट्स और ऑडिएंस दोनों के लिए बेहतरीन माध्यम है।”
मधुर भंडारकर के साथ फ़िल्म कैलेंडर गर्ल में कैमियो करने वाली देहरादून की रहने वाली समीक्षा भटनागर की फीमेल लीड फ़िल्म “पोस्टर बॉयज” थी जो बॉबी देओल के अपोजिट थी। और अब वह अंत द एंड में एक चुनौती भरी भूमिका निभा रही हैं। वह कहती हैं “मेरा रोल एक ऐसी लड़की का है जो मॉडलिंग का शौक रखती है और मुम्बई आकर ऎक्ट्रेस बनना चाहती है। इस सस्पेंस थ्रिलर फिल्म में मैं और देव शर्मा एक दूसरे के अपोजिट रोल प्ले कर रहे हैं। फ़िल्म में देव एक फोटोग्राफर का रोल कर रहे हैं और जब मैं मुम्बई में आकर सफलता हासिल करना चाहती हूं तो उनसे मेरी मुलाकात होती है। हमारे बीच एक केमिस्ट्री डेवलप होती है, इस बीच काफी टर्न और ट्विस्ट भी आते हैं। मैने यह किरदार करके काफी एन्जॉय किया। हालांकि दिव्या दत्ता के साथ मेरा कोई सीन नहीं है लेकिन मैं हमेशा से उनकी प्रशंसक रही हूं। देव बहुत सपोर्टिव को एक्टर रहे हैं। ऑफ स्क्रीन हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए हैं और इस वजह से ऑन स्क्रीन केमिस्ट्री भी काफी अच्छी रही है। मैं इस किरदार से थोड़ा रिलेट भी करती हूं हालांकि जब मैं मुम्बई ऎक्ट्रेस बनने आई थी तो मैं थिएटर बैकग्राउंड से यहां आई थी। मैं मॉडलिंग की फील्ड में कभी नहीं रही। निर्देशक के एस मल्होत्रा के साथ मैंने पहली बार काम किया है। उन्होंने एक्टर्स को क्रिएटिव फ्रीडम दे रखी थी। वह एक्टर्स के इनपुट का भी स्वागत करते थे। हमारा एक पार्टी सांग है और एक गीत मास्टर सलीम ने गाया है। फ़िल्म के गाने का अच्छा फ़ीडबैक मिल रहा है।
पांच छः प्रोजेक्ट्स रिलीज होने वाले हैं। एक वेब सीरीज की शूटिंग करने जल्द गोवा जा रही हूँ। एक्टर्स, डायरेक्टर्स, टेक्निशियन के लिए ओटीटी और वेब सीरीज काफी अच्छा माध्यम है। इसकी वजह से कलाकारों के लिए बहुत सारे रास्ते खुल गए हैं, अवसर पैदा हो गए हैं।” 

होली बेसिल फिल्म्स के बैनर तले इस पिक्चर को प्रोड्यूस करने वाले निर्देशक के.एस. मल्होत्रा का कहना है कि “अंत… एक सस्पेंस थ्रिलर है, जिसमें एक मर्डर-मिस्ट्री ड्रामा का सारा मसाला मौजूद है। फिल्म दर्शकों को अपनी सीट से अंत तक बांधे रखेगी। दिव्या दत्ता के अलावा फिल्म में मुकुल देव, देव शर्मा, समीक्षा भटनागर, दीपराज राणा, युगंत बद्री पांडे और अमन दहलीवाल जैसे अनुभवी कलाकार हैं।”
सह-निर्माता के रूप में जुड़े गुरविंदर कौर रोज्जी के साथ डॉ मनबीर सिंह द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म के डीओपी भराने के. धरन और हर्षद जाधव हैं। जीत सिंह द्वारा कोरियोग्राफी की गई है एक्सक्यूटिव प्रोडूसर मनोज विश्वकर्मा जतीन यादव व युवराज शुक्ला और समीर शेख इसके एडिटर हैं।एवं मीडिया कंसलटेंट दिनेश यादव है

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फिल्म "अंत द एंड" की शूटिंग करते समय देव शर्मा और समीक्षा भटनागर में हुई गहरी दोस्ती, दिखेगी रियल केमिस्ट्री 60

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पटना को नरक निगम से साफ और खुशहाल नगर निगम बनाना लक्ष्य कहां माला सिन्हा ने

पटना को नरक निगम से साफ और खुशहाल नगर निगम बनाना लक्ष्य कहां माला सिन्हा ने

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पटना को नरक निगम से साफ और खुशहाल नगर निगम बनाना लक्ष्य कहां माला सिन्हा ने

पटना। क्लीन पटना ग्रीन पटना एक अभियान नहीं आंदोलन है जिसका प्रयोग वार्ड 44 में सफल रहा है कचरा वाली जगहों पर सेल्फी जोन बनाया गया सरकारी अवैध कब्जे वाली जमीन पर पार्क। जहां जलजमाव का इलाका था उसे साफ सुथरा बनाकर छठ घाट तालाब में तब्दील किया गया है पटना से मेयर पद की प्रत्याशी माला सिन्हा ने कहा कि उन्होंने पूरे पटना के समक्ष वार्ड 44 का मॉडल रखा है जहां घर-घर कचरे का उठाव होता है। उन्होंने कहा कि वे लंबे चौड़े वादे की जगह लोगों की बुनियादी समस्याओं पर ध्यान देती गंदगी नाले की सफाई जलजमाव अतिक्रमण बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था, पूरे शहर की सी सी टीवी के माध्यम से निगरानी वाईफाई जोन की उपलब्धता हर एक वार्ड में जन स्वास्थ्य केंद्र सरकारी सुविधाओं का लाभ हर नागरिक को दिलाने के लिए हर एक वार्ड में सरकारी कर्मचारियों की बैठने की सुनिश्चित करना उनका मुख्य लक्ष्य है।पटना नगर निगम को क्लीन और ग्रीन बनाने संकल्प के साथ चुनाव मैदान में उतरी है,माला सिन्हा, माला सिन्हा को पटना नगर निगम के नंबर वन वार्ड पार्षद का खिताब मिल चुका है इन्होंने अपने वार्ड में तमाम चीजें कर कर दिखाई है जिसका सपना चुनाव के समय प्रत्याशी दिखाते हैं वार्ड 44 में नाले का निर्माण कराया गया है गलियों में पक्की सड़क है स्ट्रीट लाइट जलती है लोगों को कूड़ा फेंकने के लिए डोर टू डोर व्यवस्था दिया गया है नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी पूरे वार्ड में सजग रहते हैं कि जलापूर्ति के लिए जगह-जगह व्यवस्था की गई है वार्ड के पार्कों का जीर्णोद्धार किया गया है छठ घाट का निर्माण कराया गया है साफ-सफाई जन जागरूकता का रूप दिया गया है क्लीन पटना ग्रीन पटना का सपना सही में वार्ड 44 में ही हकीकत के रूप में वास्तविकता के धरातल पर उतर आए सरकारी योजनाओं की फिक्र न करते हुए माला सिन्हा ने अपने निजी कोष से भी अपने वार्ड को सजाया संवारा है और इसी का प्रतिफल है महिला आरक्षित होने के बाद पटना में हुए सर्वेक्षण में सर्वाधिक लोग माला सिन्हा को अपने मेयर के रूप में देखना चाहते हैं उनका कहना है कि नए लोग क्या करेंगे क्या नहीं करेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं पर माला सिन्हा ने पिछले पांच साल में वार्ड 44 की तस्वीर बदली है उससे साफ लगता है कि अगर यह मेयर बनी तो पटना की मूलभूत समस्याओं का समाधान होगा नालियों और गलियों का निर्माण होगा कचरा प्रबंधन की बात होगी शहर के पार्कों का जीर्णोधार होगा अतिक्रमण से मुक्ति मिलेगी तथा कई बुनियादी सुविधाएं जो आज तक शहर को मुहैया नहीं हो पाई है वह पूर्ण होंगी इन्हीं सवालों को लेकर माला सिन्हा ने खास बातचीत में बताया कि वह सिर्फ काम करने में विश्वास रखती है झूठा वादा नहीं करती उनके काम में उनके पति सितेश रमन कदम कदम पर साथ होते हैं उन्होंने अपने खून पसीना से अपने वार्ड को तराशा है जहां जिस रूप में लोगों की मदद कर सकती हैं कभी पीछे नहीं हटती है किसी भी आपदा विपदा में पूरे वार्ड को उन्होंने अपने परिवार के समक्ष समझा है यही कारण है कि आज पूरे पटना में लोग उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखते हैं माला सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र में जनता मालिक है जनता सजग है सोशल मीडिया का युग है आप क्या कर रहे हैं क्या नहीं कर रहे हैं लोगों के नजर में हैं मैंने काम किया है पूरी ईमानदारी से किया वह तमाम चीजें जो मैंने लोगों से वादा किया था पूरा करके दिखाया है यही कारण है कि आज मेरे वार्ड के अलावा पूरे पटना की जनता मुझे मेयर का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित कर रही है चाहती हैं कि मैं चुनाव लाडू और इसके लिए मुझे पटना की महान जनता पर भरोसा है। एक सवाल के जवाब में माला सिन्हा ने कहा कि जनप्रतिनिधि को जनता के प्रति सदा जिम्मेदार होना चाहिए अपनी जिम्मेदारियों से भागने वाले लोग जनता का विश्वास खो देते हैं कई कठिन से कठिन परिस्थितियां आती हैं फिर भी सरकारी सहायता का इंतजार किए बिना अपने स्तर से भी काम प्रारंभ कर देती है लोगों का साथ मिलता है कई लोग पैर खींचने वाले होते हैं पर उनसे कई गुना ज्यादा लोग साथ में संघर्ष करने वाले होते है यह लोकतंत्र की खूबसूरती है कि जनता जिसे चाहे जिस पद पर बैठा देगी पटना बिहार का सबसे ज्यादा शिक्षित सजन शहर है बिहार की राजधानी होने के कारण सबकी नजरें पटना पर होती है पर उचित प्रबंधन के अभाव में शहर कचरे का डब्बा नजर आता है जलजमाव अतिक्रमण के कारण कई इलाकों में आना-जाना लोगों का बाधित है इस शहर में रहने वाले गरीब लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाती है। पटना शहर के लोगों को जो वादा करेंगे उसका पालन करेंगी वह हवा हवाई बातों पर विश्वास नहीं करती चरणबद्ध तरीके से शहर को सजाने संवारने का जो कार्य होगा उसे पूरा किया जाएगा जिसमें आम लोग आगे बढ़कर पहल करेंगे।

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